आओ ना

क्यों हो इतने दूर पास मेरे तुम आओ ना
जान है जब एक जिस्म भी कर जाओ ना
दूरियां मिटा दो सारे अब और तडपाओ ना
क्यों हो इतने दूर पास मेरे तुम आओ ना
खामोश हो क्यों कुछ तो बोल जाओ ना
मन में कुछ दुविधाएँ है आके तुम सुलझाओ ना
डर लगता है तन्हाई से यूँ फासले बढाओ ना
क्यों हो इतने दूर पास मेरे तुम आओ ना
राहें जो सुनी पड़ी है आके तुम सजाओ ना
महक जो फीकी पड़ी है आके तुम महकाओ ना
रात काली बहुत घनी है यूँ जुल्फें बिखराओ ना
क्यों हो इतने दूर पास मेरे तुम आओ ना
ख्वाब जो मिलन की है कभी तो सच कर जाओ ना
प्यार हमेशा बनी रहे वादे जो किये निभाओ ना
जाना हमे बहुत दूर है यूँ कदम डगमगाओ ना
क्यों हो इतने दूर पास मेरे तुम आओ ना
जान है जब एक जिस्म भी कर जाओ ना
क्यों हो इतने दूर पास मेरे तुम आओ ना
Written By:-
Chandan

ख़ुशी और गम

मर के भी देखा डर के भी देखा
उंच-नीच हर राह से गुजर के भी देखा
शराफ़त का घिरोंदा बताते लोग जिसे
रात सारी उसमे ठहर के भी देखा
ना चैन मिला मंदिर में ना सुकूं मिला मशजिद में
साधू-फ़क़ीर की झोलियों को भर के भी देखा
इसी खोज में जब निकल गया दूर मै
अपने अन्दर जरा टटोल के भी देखा
ख़ुशी और उल्लास सब मेरा ही नजरिया था
दुःख और दर्द सब मेरा ही जरिया था
फिर दर्द में मुस्कुराने की कला सीखी है मैंने
सुकूं मिला जब दूसरों की खुशियों में थिरक के देखा
Written By:-
Chandan Kumar Gupta

नाम भी न पूछ सका

वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका
जीता था किसी के दिल को मैंने
इनाम भी न पूछ सका
बातें थी थोड़ी उससे दिल की
सरेआम मैं न पूछ सका
वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका
बारिश की बुँदे हो या पुरवाई की हो छुअन
मदहोश बना के चली गई मैं इलज़ाम भी न पूछ सका
सागर सी इश्क की लहरों में मैं गोता मारता डूब गया
उस गहराई के आलम का अंजाम मैं न पूछ सका
मौके भी मिले कोशिश भी किया
उसे पाने की हर साजिश भी किया
पर जुदा इश्क के चेहरे का गुलफाम मैं न पूछ सका
वो नज़रों में समां के चली गई
मैं नाम भी न पूछ सका.....

Written By:-
Chandan Kumar Gupta

मैं और तेरे वादे

तेरे वादों से होती है मुझे नफरत कुछ इस तरह
बदले की आग में जलता हो दुश्मन जिस तरह
तेरे इक मीठी बातों से हो जाती है हर सिकवा दूर
बेक़रार इश्क में हर गुनाह भूल जाता है आशिक जिस तरह
तुम कहो तो दिन तुम कहो तो रात कहो तो सुबहो-शाम
और मनाना हर बात को ऐसे होता है इतिहास में जिस तरह
तेरे हर सितम मंज़ूर ग़र तू हो के रहे हमारी
वरना मतलबी हूँ मैं भी बिलकुल तुम्हारी तरह
पहली दफ़ा मिलने की सुध में बंधन सारे तोड़ दिए
दूसरी दफ़ा दो दिल मिलने की रीत सारे तोड़ दिए
तीसरी दफा जब चले गए तुम अनजान राही की तरह
जीवन वीरानी हो गई है सुनसान झाडी की तरह
गर मैं न बदला तू न बदली एहसास कैसे बदल गए
आँखे हैं वही रातें हैं वही ख्वाब कैसे बदल गए
रीत सारे गर तोड़ सकूँ मैं वादा-ए-सियासत की तरह
वापस लौटकर तू आ जाये मौसम औ सावन की तरह
    Written By:-
Chandan Kumar Gupta

तेरे बिन

अजीब कशमकश में है जिन्दगी तेरे बिन
जिन्दा हैं या बस जी रहे हैं तेरे बिन
पलते थे कुछ ख्वाब पहले भी इस ज़हन में
पर दिल बेक़रार ना था यूँ तेरे बिन
अब तो हर ख्वाब टूटता नज़र आता है
कैसे गुजरेगी तनहा जिन्दगी तेरे बिन
इक स्वप्न सजाता हूँ बीच तुमको बसाता हूँ
अब वो भी राश नहीं आता है तेरे बिन
बेफिक्र चलता था मैं हर राह में पहले
कदम भी उठ नहीं पाता है अब राहों में तेरे बिन
आगोश तुम्हारी यादों का छाया है इस कदर
रात मसनद को भरता हूँ अब बाँहों में तेरे बिन
मैं तड़पता था तड़पता हूँ ये आदत है मेरी
साथ भाता नहीं है किसीका तेरे बिन
मैं चन्दन हूँ सुगन्धित हूँ जानता हूँ
महक फीकी सी लगती है अब सांसो में तेरे बिन
आ जाओ पास मेरे पुकारता हूँ मैं
वीरानिया सी छाई है अब बागों में तेरे बिन
अजीब कशमकश में है जिन्दगी तेरे बिन
जिन्दा हैं या बस जी रहे हैं तेरे बिन
          Written By:-
     Chandan Kumar Gupta

जब तेरा चेहरा ख्यालों में आता है

अनायास जब तेरा चेहरा ख्यालों में आता है
मुस्कान की झलक यूँ मेरे सायों में आता है
कि ना छलके तेरी आँखों से जफ़ाओं का काजल
मेरी यादें भी ख्यालों को छोड़ जाता है
वो दिन कुछ और थे जब तू मेरी जूनून थी
काँटों भरी राहों में बस तू ही इक सुकून थी
छन भर कि लालसा से नेह जोड़ बैठा था मै
गजदंत कि सच्चाई से मेरी आँखे भी महरूम थी
थी शोर मेरे अन्दर जो कहीं और ढूंढ़ रहा था मै
हुई पहचान खुद से जब चाह ढूंढ़ रहा था मै
पर अब वो चाह भी मेरा साथ छोड़ जाता है
अनायास जब तेरा चेहरा ख्यालों में आता है
Written By:-
Chandan Kumar Gupta




ख्वाहिश तेरे काजल की

तेरे काजल की ख्वाहिश थी, वफ़ा को नज़र न लग सके
उसने काजल मिटा डाला कि हमारी असर न हो सके
सिलसिला ख्वाहिशों का पनपता रहा यूँ बेसबब
उसने नींद से जगा डाला कि यूँ बसर न हो सके
तुझसे गुफ्तगू की चर्चा फैलती रही सरेआम
उसने लफ्जों-जरिया मिटा डाला कि यूँ मशहूर न हो सके
खुद से हारने का किस्सा सुनाऊं भी तो किसे मैं
खुद को मशगुल जताते हैं सब कि हमसे मशरूफ हो सके
जज़्बात छुपाने की कला जो कभी सीखी थी तुझसे
हमने आजमाइश कर डाला कि तू रकीब तो दिख सके
पर अल्फाज़ तेरे "चन्दन" दगा न कर सका
वो गीत बन बिखर गए कि यूँ बयां तो हो सके
तेरे काजल की ख्वाहिश थी, वफ़ा को नज़र न लग सके
उसने काजल मिटा डाला कि हमारी असर न हो सके
Written By:-
Chandan Kumar Gupta

गम-ए-तन्हाई

शहर की भीड़ में तन्हाई बिजली सी कड़कती है
और कहती है तन्हाई इस भीड़ को देखकर
'इतने सारे लोगों में तेरा अपना यहाँ पे कोई नहीं
ढल जाएगी ये शाम युहीं इक हमदर्द की तलाश में
कट जाएगी ये जिन्दगी युहीं आबडू की भड़ास में
तू भी इस भीड़ का इक हिस्सा बनकर रह जायेगा
अंतिम यात्रा पे तू भी खाली हाथ ही जायेगा
फिर क्यूँ तू किसी से कुछ उम्मीद करता है
जीता यहाँ वो भी है जो यतीम होता है'
जानते हैं सबकुछ मानते हैं सबकुछ फिर भी मगर
जाने क्यों युहीं मन किसी के ख्यालों में रमती रहती है
शहर की भीड़ में तन्हाई बिजली सी कड़कती है...
                       Written By:-
                    Chandan Kumar Gupta

क्यों नहीं

ख्वाब कभी हकीकत बन जाती क्यों नहीं
गर है वो हमारी तो जताती क्यों नहीं
दूरियां बढाकर तडपाती है खुद को
मिलना ही है गर मुझसे तो पास आती क्यों नहीं
सपनो में रोज मेरी सहजादी बनकर आती है
हकीकत में पर्दा कभी उठती क्यों नहीं
कहते तो हैं की वो सिर्फ हमारे हैं
फिर अपनों की तरह वो मुझे सताती क्यों नहीं
मेरी हर इक खबर रहती है उनके पास
फिर अपनी खबर मुझे वो बताती क्यों नहीं
तडपाती है मुझे वो मुझे अपनी दुश्मन की तरह
गर इरादा है नेक तो खुलेआम बोल पाती क्यों नहीं
ख्वाब कभी हकीकत बन जाती क्यों नहीं
गर है वो हमारी तो जताती क्यों नही
          Written By:-
       Chandan Kumar Gupta

डर लगता है

दरवाज़ा खुला है इन्तजार मे उनके
डर लगता है दस्तक दरवाज़े पे किसी और की न हो
तसस्वुर मे खोया रहता हूँ मै  उनके
डर लगता है दस्तक दिल पे उनकी किसी और की न हो
दौर लगाता हूँ वक्त के साथ हर कदम पे
डर लगता है साथ उनका न छुट जाए वक्त की दौर मे
उँचा बहुत उँचा जाने के सपने देखता हूँ
डर लगता है कहीं फिसल न जाउँ इस चाहत मे
शौक बदलने का  सपने को हकीकत मे है पुराना मगर
डर लगता है चंद खुशनुमा हकीकत सपने न बन जाए
सिकवे उन्हे भी है गिला हमे भी है बेशक मगर
डर लगता  है दुरियाँ न जीत जाये जिद्द की जंग मे
                      Written by:-
              Chandan Kumar Gupta