अल्फाज़ कहाँ से लाऊं तेरी यादें बयां करने को
जलता जा रहा हूँ दिन-ब-दिन तुझसे मिलने को
काश कभी किस्मत भी हमारी थक जाये तरसने को
साथ हो जाएँ दो दिल कभी साथ हंसने को
वादियाँ भी बाहें फैलाये है हमें कसने को
तू भी आ जा साथ मेरे निर्वाह करने को
यूँ तो गुल बहुत है गुलशन में महकने को
पर इन्तजार में बैठा हूँ गुलाब के खिलने को
गमनाक ख़लिश तेरे हिज्र का महरूम करने को
आज भी इन्तजार में हूँ ये गम दूर करने को
अल्फाज़ कहाँ से लाऊं तेरी यादें बयां करने को
जलता जा रहा हूँ दिन-ब-दिन तुझसे मिलने को
Written By:-
Chandan Kumar Gupta
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