मै इक आवारा जिन्दगी ढूंढता मुझे मेरी जिन्दगी दे दो
न चाहिए जायदाद, न सोहरत, न कोई उपनाम
न हो कोई बंधन, बस इक पल आज़ादी की मोहलत दे दो
मुझे सच पढ़ाते हुए खुद सच से क्यों मुकर गए
सच मत सिखाओ मुझे या फिर सच्ची दुनिया दे दो
मै इक आवारा जिन्दगी ढूंढता मुझे मेरी जिन्दगी दे दो
दे ना सको ग़र हौसला हार में जीत में उत्सव किस काम की
आसमां में उड़ न सके तो क्या जमीं से जुड़ने का मौका दे दो
महल ना जिसका बन सके क्या घर में रहने योग्य नहीं
नहीं रहना पत्थरों के घर में मुझे मेरा आशियाना दे दो
मै इक आवारा जिन्दगी ढूंढता मुझे मेरी जिन्दगी दे दो
Written By:-
Chandan Kumar Gupta

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