खामोशी

बहुत दर्द हो तो खामोश हो जाता हुँ
खामोश होकर अपने ज़ख्म छुपाता हुँ
पास होकर भी मुझसे दूर है वो
हर दिन उनसे थोड़ी दूरियां निभाता हुँ
उम्मीद ज़माने से टूट चुकी थी कबकी
रिश्ते भी आज़माये नीयत देखी सबकी
बस उनसे थोड़ी उम्मीद कर बैठा मैं
जो दर्द था उसे दवा समझ बैठा मैं
कोशिश करता हुँ गमो में दब न जाऊं
अश्कों की धार में कमजोर पड़ न जाऊं
अश्रूओं को फूटना था सिर्फ उनके सामने
ज़माने से भी हारकर बेवजह टूट न जाऊं
युहीं अपंग रिश्ते को घसीटूँ कबतक
साथ होकर भी तन्हाई सहुँ कबतक
आस अब खुशियों का दिखता नही मुझे
अपने पराये में भेद सूझता नही मुझे
जीवन से बंधा हूँ या इस तन्हाई से
एक मिलता नही एक छूटता नही
खामोशी ही बरकरार रखूं कबतक
ज़िंदगी ही है मौत तो जियूँ कबतक
~ चन्दन

मरा मन

घाव का पता नहीं पर दर्द बेशुमार है
जब भी खुशियों को ढूंढू रोना आ जाता है
जज़्बात तो छुपाये ही थे बचपन से
खामोशी भी आ गयी थी लड़कपन से
नई ज़िन्दगी जो मिली आश बंध गया था
दफन किये अहसास सारा उफन पड़ा था
पर साज़िशें रुलाने की कर रहे थे अपने ही
जिम्मेदारी के नाम पे कैद कर दिए सपने भी
कैद हुए मन से मुस्कुराने को कहते हैं
बांध कर पर वो उड़ जाने को कहते हैं
रकीबों के झूठी शान में सुथरा हो रहा हूँ
पर मर चुके मन के लाश को ढो रहा हूँ

~चंदन Chandan

वो लड़का

सरसराती ठण्ड हवाओं में अपने सपने लेकर दौड़ रहा है
सुरों से परे, शब्दों से परे अपना ही धुन वो छेड़ रहा है
कामयाबी की आश बहुत है शिकस्त की कोई शिकन नहीं
वो लड़का जो है साधारण सा औरों सा ही तो लगता है

रखा था जब वो पहला पग सबने बहुत सराहा था
गिरा था कई कई बार वो पर कोई नहीं हारा था
आज इक पाँव फिसला तो सबकी चीखें निकल गई
उसने सोचा छोड़ो यारों, उम्मीदें इनकी बिखर गई

पहले चलता था जब वो गिरने का डर सताता था
एक भी लौ ओझल दिखे उसको कभी न भाता था
काँटों पर चलता है अब वो उफ़ भी कभी न करता है
वो लड़का जो है साधारण सा थोड़ा सा अलग लगता है

मंजिल से है दूर भले पर उसको कोई गम नहीं
राहों को ऐसे जी रहा है मानो कोई भरम नहीं
ये कौन है जो दे रहा चुनौती दुखों को कर्ता-धर्ता को
यही वो विरले लड़का है जिसका पहचान बदलता है
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Chandan चन्दन چاندن

मित्रता का भाव हो तुम

सहमति असहमति है सहर्ष तुमने स्वीकार किया
हित अहित मान सम्मान तुमने है सरोकार किया
अगणित अशायुक्त जीवन में निस्वार्थ छाँव हो तुम
मित्रता का भाव हो तुम...

वेदनाएं इस संसार में प्रफुल्लित होती हर क्षण है
संग अजेय वाद विवाद से प्रशस्त मन के कण है
जिज्ञासु प्रश्नों से भरे उलझन का ठहराव हो तुम
मित्रता का भाव हो तुम...

जन्म अलग, दाता अलग, कुल की मर्यादा है अलग
पृथक शिक्षाओं से पले मनन की प्रक्रिया है अलग
गुण अवगुन अंतर से परे मानवीय लगाव हो तुम
मित्रता का भाव हो तुम...
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चन्दन Chandan چاندن

फसादी हूँ मैं

जब इच्छाएं ख़त्म हो जाती है
दुःख दर्द नादानी लगती है
उस मुकाम का आदी हूँ मैं
खुद पर विजय का वादी हूँ मैं

धर्म जब नौटंकी लगे
कर्म एकमात्र संगी लगे
ज़िद्द है अतिवादी हूँ मैं
अनसुलझा मियादी हूँ मैं

गलत से समझौता नहीं
अपनों सा सरौता नहीं
यूँ डरता हूँ लड़ाई से
हर क्षण प्रतिवादी हूँ मैं

ज़मीर गर इज़ाज़त न दे
विरोध में इकलौता हूँ मैं
फसाद हो गर वसूलों से
हाँ हाँ फसादी हूँ मैं

♥ चन्दन Chandan چاندن ♥