दिल में हो लाखों बातें जुबां पे ख़ामोशी लाना कितना आसां है
दिल में छुपाये दर्द महफ़िल में मुस्कुराना कितना आसां है
जिस दर्द से हम लोगों को महरूम किया करते हैं
खुद उस दंगल में फंसकर निकलना कितना आसां है
इश्क की गलियारों में हर इक पहलु पे नज़र रखते हैं हम
एक भी पहलु को खुद नज़र न आना कितना आसां है
देते हैं नसीहत लोग 'इश्क में है दर्द न लगाना गले से इसे'
इश्क के कुचे में पड़ी इक नज्र से नज़रे चुराना कितना आसाँ है
गिरकर संभलने की सहानुभूति हर बात में देते हैं लोग
उम्मीदे-ए-राह में कभी गिरकर देखो संभालना कितना आसाँ है
कहने को बड़ी-बड़ी बातें चंद लम्हों में कह देते हैं लोग
कभी हकीकत में कदम रख के देखो करना कितना आसाँ है
हर इक गुनाह की माफ़ी तो बेझिझक मांग लेते हैं लोग
कभी गुनाह का शिकार बनके देखो माफ़ करना कितना आसाँ है
दिल में हो लाखों बातें जुबां पे ख़ामोशी लाना कितना आसां है
दिल में छुपाये दर्द महफ़िल में मुस्कुराना कितना आसां है
Written By:-
Chandan Kumar Gupta
दिल में छुपाये दर्द महफ़िल में मुस्कुराना कितना आसां है
जिस दर्द से हम लोगों को महरूम किया करते हैं
खुद उस दंगल में फंसकर निकलना कितना आसां है
इश्क की गलियारों में हर इक पहलु पे नज़र रखते हैं हम
एक भी पहलु को खुद नज़र न आना कितना आसां है
देते हैं नसीहत लोग 'इश्क में है दर्द न लगाना गले से इसे'
इश्क के कुचे में पड़ी इक नज्र से नज़रे चुराना कितना आसाँ है
गिरकर संभलने की सहानुभूति हर बात में देते हैं लोग
उम्मीदे-ए-राह में कभी गिरकर देखो संभालना कितना आसाँ है
कहने को बड़ी-बड़ी बातें चंद लम्हों में कह देते हैं लोग
कभी हकीकत में कदम रख के देखो करना कितना आसाँ है
हर इक गुनाह की माफ़ी तो बेझिझक मांग लेते हैं लोग
कभी गुनाह का शिकार बनके देखो माफ़ करना कितना आसाँ है
दिल में हो लाखों बातें जुबां पे ख़ामोशी लाना कितना आसां है
दिल में छुपाये दर्द महफ़िल में मुस्कुराना कितना आसां है
Written By:-
Chandan Kumar Gupta
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