वो

शाम आई और गुजर गयी अधूरेपन का एहसास देकर
बैठा रहा मै इंतज़ार में दिल जुड़ने की आश लेकर
दिल जुड़े न जुड़े कोई गम नहीं हमे अब
आह भरा मैं तब जब कोई कह गया पराया खास बनकर
महज नाम जुड़ने भर से डरती वो मेरा रकीब से
अब तो जुदा कर देती है मेरा नाम अपने नाम से वो दोस्त कहकर
चाँद को देखकर हर रात करता था दीदार जिसका मै
मेरे जीवन में वो रहना चाहती है महज इक दाग बनकर
कहने को मेरी कहानी चाँद लफ़्ज़ों की मोहताज़ है
पर दोहराने पे उसकी हर बात डसती मुझे नाग बनकर
कहता है इक मन मेरा मिटा दे उसकी हर यादों को
कैसे समझाउं दिल को मै बसी है मेरे धड़कन में वो साँस बनकर
           Written By:-
        Chandan Kumar Gupta

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