तेरे बिन

अजीब कशमकश में है जिन्दगी तेरे बिन
जिन्दा हैं या बस जी रहे हैं तेरे बिन
पलते थे कुछ ख्वाब पहले भी इस ज़हन में
पर दिल बेक़रार ना था यूँ तेरे बिन
अब तो हर ख्वाब टूटता नज़र आता है
कैसे गुजरेगी तनहा जिन्दगी तेरे बिन
इक स्वप्न सजाता हूँ बीच तुमको बसाता हूँ
अब वो भी राश नहीं आता है तेरे बिन
बेफिक्र चलता था मैं हर राह में पहले
कदम भी उठ नहीं पाता है अब राहों में तेरे बिन
आगोश तुम्हारी यादों का छाया है इस कदर
रात मसनद को भरता हूँ अब बाँहों में तेरे बिन
मैं तड़पता था तड़पता हूँ ये आदत है मेरी
साथ भाता नहीं है किसीका तेरे बिन
मैं चन्दन हूँ सुगन्धित हूँ जानता हूँ
महक फीकी सी लगती है अब सांसो में तेरे बिन
आ जाओ पास मेरे पुकारता हूँ मैं
वीरानिया सी छाई है अब बागों में तेरे बिन
अजीब कशमकश में है जिन्दगी तेरे बिन
जिन्दा हैं या बस जी रहे हैं तेरे बिन
          Written By:-
     Chandan Kumar Gupta

No comments:

Post a Comment