चाँद और सूरज

चमकता है चाँद सूरज की लाली में दुनिया जानती है
है दीवानी सूरज की चाँद भी ये मानती है
पर चाँद ने कभी सूरज से इकरार न किया
झूठ कहते हैं लोग सूरज ने कभी प्यार न किया
ग्रह नक्षत्र तारे सब मूकदर्शक बने रहे
परम्परा की आड़ के स्वभाव में डटे रहे
दर्द पे मरहम लगाना किसी ने स्वीकार न किया
झूठ कहते हैं लोग सूरज ने कभी प्यार न किया
दिखाई होती किसी ने इंसानियत, नज़ारे बदल जाते
दिन को भी मिलती ठंढक, हर रात उजाले हो जाते
ओछी रीत बदलने की बीड़ा किसी ने सरोकार न किया
झूठ कहते हैं लोग सूरज ने कभी प्यार न किया
रोज इक चाँद-सूरज को फरमान-ए-हिज्र दी जाती है
दुनिया बड़ी ज़ालिम है इश्क की सजा सुनाती है
इश्क वालों ने भी पर इश्क को लगाम ना दिया
झूठ कहते हैं लोग सूरज ने कभी प्यार ना किया
Written by:-
Chandan

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