शाम को ढल जाने दो
सूरज निकल जाने दो
जो सदियों में न हुआ
इक पल में हो जाने दो
बाँहों में बैठो
इश्क को संवर जाने दो
रोग इश्क का है ये
लाइलाज ही सही लग जाने दो
कुचे में न देखो
कि लोगों को गुजर जाने दो
सिलसिला चाहतों का है ये
होठों तक खबर जाने दो
सूरज घबरा जायेगा
कि इश्क की लहर जाने दो
चाँद शरमा जायेगा
कि नूर बिखर जाने दो
मशरूफ ज़माने को छोडो
खुदा तक अदब जाने दो
बुरा हो या हो भला
इश्क है हो जाने दो
Written By-
Chandan
सूरज निकल जाने दो
जो सदियों में न हुआ
इक पल में हो जाने दो
बाँहों में बैठो
इश्क को संवर जाने दो
रोग इश्क का है ये
लाइलाज ही सही लग जाने दो
कुचे में न देखो
कि लोगों को गुजर जाने दो
सिलसिला चाहतों का है ये
होठों तक खबर जाने दो
सूरज घबरा जायेगा
कि इश्क की लहर जाने दो
चाँद शरमा जायेगा
कि नूर बिखर जाने दो
मशरूफ ज़माने को छोडो
खुदा तक अदब जाने दो
बुरा हो या हो भला
इश्क है हो जाने दो
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