उंच-नीच हर राह से गुजर के भी देखा
शराफ़त का घिरोंदा बताते लोग जिसे
रात सारी उसमे ठहर के भी देखा
ना चैन मिला मंदिर में ना सुकूं मिला मशजिद में
साधू-फ़क़ीर की झोलियों को भर के भी देखा
इसी खोज में जब निकल गया दूर मै
अपने अन्दर जरा टटोल के भी देखा
ख़ुशी और उल्लास सब मेरा ही नजरिया था
दुःख और दर्द सब मेरा ही जरिया था
फिर दर्द में मुस्कुराने की कला सीखी है मैंने
सुकूं मिला जब दूसरों की खुशियों में थिरक के देखा
Written By:-
Chandan Kumar Gupta