तेरे शहर की कुछ बात अलग है
लोग हैं वही जज़्बात अलग है
हक़ीक़त है लोगों पे राय मेरी,
या मेरे नज़रों पे चस्मात अलग है?
लोग हैं वही जज़्बात अलग है
हक़ीक़त है लोगों पे राय मेरी,
या मेरे नज़रों पे चस्मात अलग है?
कुछ अलग तो नहीं मेरा शहर तेरे शहर से
मय नज़्र की खिंचती है यहाँ भी सड़क से
फिर तेरे शहर से क्यों मेरे तालुकात अलग है?
तेरा शहर में होने का शायद अर्थात अलग है
मय नज़्र की खिंचती है यहाँ भी सड़क से
फिर तेरे शहर से क्यों मेरे तालुकात अलग है?
तेरा शहर में होने का शायद अर्थात अलग है
धूल मिट्टी के कण चलायमान है दोनों शहर में
गंदगी और पीड़ा विराजमान है दोनों शहर में
तुम्हारे सिवा तेरे शहर की औकात विरल है
तुम दर्द में भी मिलो तो दर्द का उन्माद अलग है
गंदगी और पीड़ा विराजमान है दोनों शहर में
तुम्हारे सिवा तेरे शहर की औकात विरल है
तुम दर्द में भी मिलो तो दर्द का उन्माद अलग है
गर रुखसत हो सको अपने शहर से मेरे शहर में
बचेगा न कुछ अवशेष के सिवा तेरे शहर में
तेरा साथ और जज्बात के बिना क्या अलग है ?
कोई और भी हो खास किसी का तो बात अलग है
बचेगा न कुछ अवशेष के सिवा तेरे शहर में
तेरा साथ और जज्बात के बिना क्या अलग है ?
कोई और भी हो खास किसी का तो बात अलग है
सप्रेम लेखन: चन्दन Chandan چاندن