रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया
अपनों से मुख यूँ मोड़ के क्यों
और भी अपना जोड़ लिया
जिस अपनों को अपनाते हो
क्या वो अपना तेरा अपना है
जिस अपनों को छोड़ तुम जाते हो
या वो अपना ही तेरा अपना है
तशबीह न रिश्तों का किया करो
सृजन ईश ने है खुद ही किया
रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया
उम्र की कीमत लगाकर तुमने
इक रिश्ते का आगाज़ किया
स्वार्थ-निहित संसार का फिर
क्यों तूने नक़ल-नमाज़ किया
विश्वास न किसी का त्याग करो
हर आह को इसने मन से पिया
रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया
-Chandan
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया
अपनों से मुख यूँ मोड़ के क्यों
और भी अपना जोड़ लिया
जिस अपनों को अपनाते हो
क्या वो अपना तेरा अपना है
जिस अपनों को छोड़ तुम जाते हो
या वो अपना ही तेरा अपना है
तशबीह न रिश्तों का किया करो
सृजन ईश ने है खुद ही किया
रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया
उम्र की कीमत लगाकर तुमने
इक रिश्ते का आगाज़ किया
स्वार्थ-निहित संसार का फिर
क्यों तूने नक़ल-नमाज़ किया
विश्वास न किसी का त्याग करो
हर आह को इसने मन से पिया
रिश्तों की समझ ऐसी भी क्या
एक तोड़ दिया एक जोड़ लिया
-Chandan