खूबसूरती में कमी नहीं
सौ घूरती नज़रें गवाही है
पर दिल को भाता क्यों नहीं
किया ऐसा क्या इश्क़ उगाही है
आँखें है तुम्हारी मयखाना
पर नशा ये चढ़ता क्यों नहीं
नज़रें मिलती है क्षण भर को
पर बात बढ़ती ये आगे क्यों नहीं
मुशफिर हो तुम मैं भी हूँ
पर राह कटती ये पल में क्यों नहीं
मंजिल पे बिछड़ हम जायेंगे
मुस्कान राहों हो मनाही तो नहीं
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