तुमसे मिलने की बेताबी क्यों है

तेरा अपना होने पे भी शक है
फिर भी तुमसे मिलने की बेताबी क्यों है
जानता हूँ तेरे परायेपन की वजह
फिर भी ये आँखें हुआ शराबी क्यों है
तुमसे मिलने की बेताबी क्यों है

तुम्हारे पास रहूँ हरदम बिन-वजह
दिल ने सोचा ये गुस्ताखी क्यों है
इक दर्द से महरूम हुए नहीं पूरी तरह
दूजे आह से लिपटने की ख्वाहिस क्यों है
तुमसे मिलने की बेताबी क्यों है

ऐसा नहीं की तेरी वफ़ा पे यकीं न हो
फिर भी इस दिल में शक की गुंजाइश क्यों है
फासला ना यूँ कभी तुमसे बढे
अनगिनत शर्तों की आजमाइश क्यों है
तुमसे मिलने की बेताबी क्यों है

-Chandan

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